आश्विन शुक्ल नवरात्रि संवत 2081
नवरात्रि का आरंभ अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से प्रारंभ होकर के आश्विन शुक्ल नवमी तिथि तक रहेंगे। अंग्रेजी तारीख के अनुसार 3 अक्टूबर से 2024 से 11 अक्टूबर 2024 तक शारदीय नवरात्रि पर्व रहेगा।
आश्विन माह में आने वाले नवरात्रि को शारदीय नवरात्रि कहा जाता है। नवरात्रि के पहले दिन घटस्थापना के साथ होती है। मान्यता है कि जो व्यक्ति इन 9 दिनों में मां दुर्गा की सच्चे दिल से प्रार्थना करता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इसी बीच नवरात्रि के पहले दिन घटस्थापना शुभ मुहूर्त में करना बेहद जरुरी है। आइए जानते हैं नवरात्रि के पहले दिन घटस्थापना के शुभ मुहूर्त।
घट स्थापना के शुभ मुहूर्त
- 3 अक्टूबर, गुरुवार को घट स्थापना का सबसे पहला शुभ मुहूर्त सुबह 06:15 से 07:22 मिनिट तक है।
- घट स्थापना के लिए अभिजीत मुहूर्त सुबह 11:46 से दोपहर 12:33 मिनिट तक रहेगा।
इन मुहूर्तों के अलाव चौघड़िया मुहूर्त में भी कलश स्थापना कर सकते हैं।
- सुबह 10:41 से दोपहर 12:10 तक
- दोपहर 12:10 से 01:38 तक
- शाम 04:36 से 06:04 तक
- शाम 06:04 से 07:36 तक
घट स्थापना के लिए आवश्यक सामग्री
चौड़े मुंह वाला मिट्टी की एक मटकी या तांबे का कलश, गंगाजल, आम या अशोक के पत्ते, सुपारी, जटा वाला नारियल, अक्षत, लाल या सफेद वस्त्र और फूल, सिक्का, साबूत, हल्दी, दूर्वा।
इस विधि से करें घट स्थापना,
- जिस स्थान पर आप घट स्थापना करना चाहते हैं, उसे अच्छी तरह से साफ कर लें। उस स्थान पर लकड़ी का एक पटिया रखें। इस पटिए पर लाल या सफेद कपड़ा बिछाएं।
- इसी पटिए के ऊपर घट स्थापना करें। इसके ऊपर मिट्टी की मटकी या तांबे का कलश इस तरह रखें कि ये बिल्कुल भी हिले-डुले नहीं। न ही ये इसके गिरने का कोई भय हो।
- इस कलश के अंदर गंगाजल डालें। गंगाजल न हो तो किसी अन्य पवित्र नदी का जल भी ले सकते हैं। कलश में चावल, फूल, दूर्वा, कुमकुम, साबूत हल्दी और पूजा की सुपारी डालें।
- कलश के ऊपर आम के 5 पत्ते रखें और इसे नारियल से ढंक दें। कलश पर स्वस्तिक का चिह्न बनाकर मौली यानी पूजा का धागा बांधे। नारियल पर भी तिलक लगाएं। ये मंत्र बोलें-
-ओम धान्यमसि धिनुहि देवान् प्राणाय त्यो दानाय त्वा व्यानाय त्वा।
दीर्घामनु प्रसितिमायुषे धां देवो वः सविता हिरण्यपाणिः प्रति गृभ्णात्वच्छिद्रेण पाणिना चक्षुषे त्वा महीनां पयोऽसि।।
ओम आ जिघ्र कलशं मह्या त्वा विशन्त्विन्दव:।
पुनरूर्जा नि वर्तस्व सा नः सहस्रं धुक्ष्वोरुधारा पयस्वती पुनर्मा विशतादयिः।।
ओम वरुणस्योत्तम्भनमसि वरुणस्य स्काभसर्जनी स्थो वरुणस्य ऋतसदन्यसि वरुणस्य ऋतसदनमसि वरुणस्य ऋतसदनमा सीद।।
ओम भूर्भुवः स्वः भो वरुण, इहागच्छ, इह तिष्ठ, स्थापयामि, पूजयामि, मम पूजां गृहाण।
‘ओम अपां पतये वरुणाय नमः’
- इसके बाद कलश के सामने गाय के शुद्ध घी का दीपक जलाएं। इस दीपक का आकार थोड़ा बड़ा होना चाहिए क्योंकि ये अखंड ज्योति है, जो पूरे 9 दिनों तक जलते रहना चाहिए।
- इसके बाद देवी मां की आरती करें। संभव हो तो दुर्गा सप्तशती के मंत्रों का जाप भी करें। नवरात्रि में रोज इस कलश की पूजा करें। इससे आपकी हर इच्छा पूरी हो सकती है।
इन बातों का रखें ध्यान…
1. घर में जहां भी घट स्थापना करें, उस स्थान पर रोज साफ-सफाई करें।
2. घट स्थापना वाले कमरे में कोई भी ऐसी चीज न रखें, जिससे वहां की पवित्रता भंग हो जैसे चमड़े का बेल्ट आदि।
3. घट स्थापना स्थान पर जूते-चप्पल पहनकर न जाएं। ये घट यानी कलश 9 दिनों तक एक ही स्थान पर रहना चाहिए।
4. जब तक घर में घट स्थापित रहे, तब तक नशे की चीजें या नॉनवेज घर में नहीं आनी चाहिए।
मां दुर्गा के इन मंत्रों का करें जाप
1. ॐ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।।
2. या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
या देवी सर्वभूतेषु लक्ष्मीरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
या देवी सर्वभूतेषु तुष्टिरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
या देवी सर्वभूतेषु मातृरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
या देवी सर्वभूतेषु दयारूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
या देवी सर्वभूतेषु बुद्धिरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
या देवी सर्वभूतेषु शांतिरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
3. सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके।
शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि नमोऽस्तुते।।
4. नवार्ण मंत्र ‘ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै’ का जाप अधिक से अधिक अवश्य करें।
5. पिण्डज प्रवरा चण्डकोपास्त्रुता।
प्रसीदम तनुते महिं चंद्रघण्टातिरुता।।
पिंडज प्रवररुधा चन्दकपास्कर्युत । प्रसिदं तनुते महयम चंद्रघंतेति विश्रुत।
नवरात्रि में क्यों करते हैं कलश स्थापना?
नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना की परंपरा बहुत पुरानी है। छोटी काशी के ज्योतिषाचार्य डॉ दीपक के अनुसार, जब नवरात्रि में कलश स्थापना की जाती है तो इस कलश के जल में सभी देवताओं का आवाहन किया जाता है। ऐसा कहा जाता है 9 दिनों तक सभी देवी-देवता इस कलश के जल में निवास करते हैं। नवरात्रि के 9 दिनों में जब हम कलश की पूजा करते हैं को देवी के साथ-साथ अन्य सभी देवों की पूजा भी हो जाती है। और इन नौ दिनों में की गई पूजा से सभी देवता संतुष्ट होते हैं और हमें आशीर्वाद प्रदान करते हैं जिससे हमारी मनोकामना पूर्ण होती है।